ज्योतिष शास्त्र में नौ ऐसे सबसे शक्तिशाली रत्न है जिनके अस्तित्व से हमारी ज़िन्दगी के रुख को मौड़ा जा सकता है। ज्योतिष विज्ञान का पहलु सिर्फ हमारे विश्वास पर नहीं टिका है, कई शोधकर्ताओं और वैज्ञानिकों ने साबित किया है कि हमारे चारों ओर ऊर्जा का प्रवाह और कंपन हमारे जीवन पर अत्यधिक प्रभाव डाल सकते हैं।

इन् नवरत्नों में एक रत्न ऐसा भी है जिसे हम सब उसकी शक्तिओं के लिए जानते है - मोती। मोती को मुक्ता, इंदुरत्ना और मोक्तिम भी कहा जाता है। मोती की अपार क्षमताओं के चलते, इस रत्न को काफी पहचाना व् पहना जाता है। साथ ही इसके सफ़ेद रंग की खूबसूरती इसे एक बहुत ही मूल्यवान रत्न बनाती है। मोती की आकर्षक गोलाई व् सफ़ेद चमक आँखों को सुहाती है।

खास बात यह है की मोती एक जैविक बहुमूल्य रत्न है। इसे पानी में पाए जाने वाले मोलस्क नामक का एक जीवित प्राणी अपने शरीर के अंदर पैदा करता है। इसलिए मोती की महत्वता ओर बढ़ जाती है। साथ ही, बाजार में इसकी मांग अधिक है और निर्माण या आपूर्ति कम है, जिससे इसकी कीमत अधिक हो जाती है।

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इस लेख में हम मोती , इसके लाभ-हानि, इसे किसे पहनना चाहिए, किसे नहीं पहनना चाहिए और इसे कैसे पहनना चाहिए, इन सबके बारे में चर्चा करेंगे।

मोती पहनने के फायदे (Moti pehne ke fayde)

मोती को ज्योतिष हमारे ज्योतिष शास्त्र के नौ ग्रहों में चाँद से जोड़ते है। इसलिए ऐसा माना जाता है की चाँद की सहजता, भावनात्मकता और संवेदनशीलता मोती को पहनने वाले में बढ़ जाती है।

यह रत्न को पहनने वाले व्यक्ति को वित्तीय लाभ और ज्ञान जैसे विभिन्न लाभ प्रदान करता है। यह व्यक्ति के मस्तिष्क को मजबूत बनाता है और सकारात्मक विचारों की आवृत्ति को बढ़ाता है। इसके साथ मोती के अनेक फायदे है :

  • मोती पहनने की सलाह सबसे ज्यादा उन् लोगो को दी जाती है जिन्हे बहुत गुस्सा आता है और वे अपने गुस्से पर काबू नहीं पा पाते। यह रत्न क्रोध को नियंत्रित करने में मदद करता है। क्रोध की समस्या से पीड़ित व्यक्तियों के लिए मोती एक आदर्श रत्न के रूप में काम कर सकता है। इसका मतलब है कि मोती उन्हें आशावादी, निश्चिंत, शांत और संयमित रहने में मदद कर सकता है।
  • मोती आपकी मानसिक शक्तियों को बढ़ाने में मदद करता है। यह आपके केंद्र बिंदु की क्षमता को बढ़ाता है, आपको एकाग्रता प्रदान करता है। साथ ही मोती मानसिक स्पष्टता प्रदान करने में मदद करता है।
  • यह रत्न आपके आत्मविश्वास और आत्म-अभिव्यक्ति को भी बढ़ाता है। जो आपको अपने कार्यस्थल पर अपने आप को अधिक प्रस्तुत करने योग्य और भरोसेमंद बनने में मदद करेगा। आप अपनी तरफ आने वाले अवसरों का सही लाभ उठाने में सक्षम होंगे और अपने इस आकर्षण और आत्म विश्वास के साथ सफलता प्राप्त कर सकेंगे।
  • मोती मातृ संबंध को भी बढ़ाता है। माना जाता है कि मोती पहनने वाली की मां के स्वास्थ्य में सुधार करता है। इसके अलावा, रत्न पहनने वाले और उनकी मां के बीच आपसी संबंधों को बढ़ावा देने में मदद करता है।
    मोती का मन पर शांत प्रभाव होता है। यह आपके मन में प्यार और सहानुभूति को बढ़ाता है।
  • ऐसा भी माना जाता है की मोती पहनने वाले के जीवन में लोकप्रियता और सौभाग्य लाता है।
  • इस रत्न की ऊर्जाएँ आपकी मानसिक समस्यायों को दूर करके आपको स्वयं का मूल्यांकन करने में मदद करेगी। आप अपने जीवन को बेहतर तरीके से मोड़ने के लिए अपने आपको त्यार कर पाएंगे।
  • अक्सर मोती की सलाह कलाकारों को भी दी जाती है क्यूंकि यह रत्न इंसान की रचनात्मकता का विस्तार करता है।

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इन् सब के अलावा, मोती का एक सबसे बड़ा लाभ है इसके पहनने वाले को शारीरिक रूप से स्वस्थ रखना। मोती पहनने वाले को जल-जनित बीमारियों से लड़ने में मदद कर सकता है। यह पहनने वाले की आँखों को स्वस्थ रखता है, संचार प्रणाली को बेहतर करता है और साफ़ त्वचा पाने में भी मददगार है।

यह हृदय को मजबूत बनाता है, रक्त प्रवाह को नियंत्रित करता है और शरीर से हानिकारक विषैले पदार्थों को बाहर निकालता है। साथ ही, रक्तचाप और मूत्राशय की बीमारी को भी ठीक करता है।

मोती शारीरिक तरल पदार्थों को संतुलित बनाए रखने में भी मदद करता है। व गुर्दे (किडनी) सम्बंधित समस्याओं का भी इलाज है।

इसके अतिरिक्त, अवसाद और तनाव से इंसान को दूर रख के, मोती आराम की नींद प्रदान करता है व् नींद संबंधी विकारों को दूर करता है।

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मोती पहनने के नुकसान (Moti pehne ke nuksan)

मोती पहनने के फायदे ही नहीं नुकसान भी है जिनका आपको सामना करना पड़ सकता है। मोती के नुकसान कुछ इस प्रकार है :

  • इंसान मे अत्यधिक क्रोध की उत्पत्ति हो सकती है।
  • आपका मन अस्थिर व अशांत रेहना शुरू हो जाएगा।
  • आप मानसिक रूप से उलझनों मे फस सकते है।
  • आपको बुरे सपने आना भी शुरू हो सकते है।
  • मोती के नकारात्मक प्रभाव के कारण हो सकता है आपको अनिद्रा का सामना करना पड़े जिस वजह से आप अक्सर परेशां रहे।
  • आपके सम्बन्धो मे भी दरार आनी शुरू हो सकती है। हो सकता है आपकी बुद्धि के फेर के कारण आप खुद ही अपने अपनों को खुदसे दूर करने लग जाएं।
  • आप अपने आप को भावनात्मक रूप से कमजोर पाएंगे।
  • आपको अपने कार्यस्थल पर असफलता का सामना करना पड़ सकता है।
  • शारीरिक रूप से आपको कई बिमारियों का भी सामना करना पड़ सकता है।
  • आपको धन सम्बन्धित नुकसान भी उठाना पड़ सकता है।

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मोती के नकारात्मक प्रभाव के कारण आपकी मानसिक स्थिति पागल हो जाने की क्षमता तक ख़राब हो सकती है। इसलिए यह बहुत जरूरी है की आप इस रत्न को सही तरीके से सहेज कर पहने।

यदि आपको मोती के नुकसान से बचना है तो मोती को तभी पहने जब वो आपकी कुंडली या जन्म पत्री के अनुकूल हो। साथ ही मोती को धारण करते वक़्त पूर्ण पूजा अनुष्ठान का ध्यान रखे। धार्मिक संस्कारो को पालन कर ही मोती को धारण करे। मोती को पहनने की पूर्ण प्रक्रिया का हमने अगले भाग में उल्लेख किया है।

मोती कौन पहन सकते हैं? (Moti kon pehan sakta hai)

ज्योतिषी अक्सर उन लोगों को मोती का सुझाव देते हैं जिनकी जन्म कुंडली में चंद्रमा का नकारात्मक प्रभाव होता है। यदि ऐसा है तो मोती अशुभ प्रभावों को दूर कर आपके जीवन में सकारात्मकता लाएगा। यदि चन्द्रमा की महादशा से आप बचना चाहते है तो मोती सबसे अच्छा उपाय है।

वैदिक ज्योतिषी के अनुसार मोती मेष, कर्क, वृश्चिक और मीन राशि के लोगों के लिए भाग्यशाली रहेगा। यह रत्न उनकी जन्म कुंडली के अनुकूल रहेगा।

हालाँकि, हम आपको यही सलाह देंगे की इस रत्न को धारण करने से पहले अपनी जन्म कुंडली एक बार किसी अच्छे पंडित को जरूर दिखाए और यह सुनिश्चित करले की मोती आपके जीवन के लिए अनुकूल है या नहीं।

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मोती किस राशि वालों को नहीं पहनना चाहिए? (moti kis rashi walon ko nahi pehna chahiye)

मकर, तुला, वृष, कुंभ, मिथुन, कन्या, सिंह, और धनु - इन् सभी राशियों के जातकों को मोती का धारण नहीं करना चाहिए। इसके अनेक कारण है। इन राशियों में कुछ राशियों के स्वामी गृह की मोती के स्वामी गृह यानि चंद्र से दुश्मनी हो सकती है या हो सकता है की चन्द्रमा का भाव जन्म पत्रिका में ऐसे स्थान पर स्तिथ हो जो आपके लिए अनुकूल न हो। आप इस बारे मे अपने पंडित से सलाह ले सकते है और अपनी कुंडली की जांच करवा ये पता कर सकते है की आपको कौनसा रत्न पहनना चाहिए।

इस बात का ध्यान रहे की आप मोती को नीलम और गोमेद रत्न के साथ न पहने, वरना आपको भारी नुक्सान का सामना करना पड़ सकता है।

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मोती पहनने के नियम व विधि (moti pehne ke niyam or vidhi)

मोती को पहनने से पहले अपने पंडित जी से यह जरूर निश्चित करले की आपको कितने रत्ती का मोती पहनना चाहिए। व् मोती को किस तरह पहनना आपके लिए बेहतर रहेगा - अगूंठी, लॉकेट या ब्रेसलेट।

यदि आप मोती को अगूंठी के रूप मे पहनना चाहते है तो इसे दाहिने हाथ (right hand) की कनिष्ठा ऊँगली यानि सबसे छोटी ऊँगली मे पहने।

नियम अनुसार, मोती को चांदी धातु मे बनवाकर पहने | चांदी से मोती के सकारात्मक प्रभाव का असर ओर अच्छा होगा और इसकी ऊर्जा बढ़ेगी।

सबसे शुभ दिन मोती को पहनने के लिए शुक्ल पक्ष का सोमवार है। आप इसे पूर्णिमा के दिन भी धारण कर सकते है।

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प्रातः काल उठकर नाह धो के धुले हुए साफ़ कपड़े पहनकर अपने रोज की पूजा समाप्त करने के बाद, अपने मोती को ले अपने पूजाघर मे बैठे। रत्न को शुद्ध करने के लिए इसे पंचामृत (पांच चीजों का मिश्रण - गाय का कच्चा दूध, घी, शहद, शक्कर और दही) से स्नान कराये व तुलसी के पत्ते चढ़ाये। फिर मोती के पूजन करने हेतु मोती और कुमकुम लगाए, फूल चढ़ाये, व धुप, अगरबत्ती या दीपक जलाये।

अब अपनी आंखें बंद कर, चंद्र देव का ध्यान करे और निचे दिए गए मंत्र का जाप करे। इस मंत्र को १०८ (108) बार बोले और जब आप इसे आखिरी बार जप रहे हो तब अपना मोती ले गंगाजल से इसे साफ़ करले और पहन ले।

।। ॐ चं चन्द्राय नमः।।


मोती को इस तरह पहने की उसका एक हिस्सा आपकी त्वचा को छू रहा हो, ताकि इस रत्न की ऊर्जा आपके शरीर, हृदय और आत्मा से गुजर सके और अपना प्रभाव आप तक पहुंचा सके।

ध्यान रहे की एक बार आप पूर्ण पूजा के बाद मोती को धारण करके उसे उतारे ना। अगर आप अपने मोती को उतार देते है तो उसे फिरसे पहनने से पहले उसको शुद्ध करले।

अपने रत्न को किसी ओर को पहनने के लिए कभी ना दे और अपने मन मे श्रद्धा और धैर्य की भावना के साथ इसे पहने। आपको इसका असर जल्द ही देखने मिलेगा।

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