हिन्दू शास्त्रों में रत्नो की बहुत महत्वता है। रत्न ग्रहो की दशा को बदल सकते है और इंसान की कुंडली के कई दोष खत्म कर सकते है।ऐसे 9 रत्नो में से एक है पुखराज। यह सबसे फायदेमंद और शक्तिशाली पत्थरों में से एक है।

पुखराज का चमकीला पीला रंग सर्दी के मौसम में धूप के समान दिखाई पड़ता है जो तेज भी है, पर शांति भी प्रदान करता है। इसकी चमक इसकी खूबसूरती के लिए इस रत्न को जगत भर में जाना जाता है| पुखराज रत्न को विश्व के अलग-अलग हिस्सों में अलग अलग नामो से जाना जाता है जैसे की पुषराजा, पीतमणि, पुष्पराग, गुरु रत्न, गुरुप्रिया पुष्पराज, गुरुवल्लभ, वाचस्पति वल्लभ और पितमन।

सिर्फ ये ही नहीं, वैदिक ज्योतिषी के अनुसार पुखराज रत्न (Pukhraj stone) के कुछ अद्भुत ज्योतिषीय लाभ हैं। पुरखो का कहना है कि इस रत्न को धारण करने वाले पर कई शक्तिशाली प्रभाव पड़ते हैं। यह अपने पहनने वाले को सकारात्मक के साथ सशक्त बनाता है।

किन्तु पुखराज की असीम शक्ति हमारे जीवन पर अच्छे और बुरे दोनों प्रभाव दाल सकती है। इस रत्न को गलत समय पर धारण करने या इसके महत्व को जाने बिना धारण करने से व्यक्ति पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।

इसलिए इस रत्न को धारण करने से पहले इसके बारे में गहराई से जानना आवश्यक है | साथ ही ये भी जरूरी है की आप जाने की पुखराज को पहनने के क्या नियम है।

हमने इन् सभी महत्वपूर्ण बातों का उल्लेख निचे किया है जो आपको पुखराज रत्न के बारे में जानने चाहिए:

 

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पुखराज पहनने के नियम (Pukhraj ratan pehne ke niyam)

पुखराज से लाभकारी प्रभाव प्राप्त करने हेतु आवश्यक है की इसे धारण करते समय आप कुछ नियमो का पालन करे:

  • इस रत्न के सकारात्मक प्रभाव प्राप्त करने हेतु पुखराज को सोने के धातु में अंकरित कराकर तर्जनी ऊँगली (Index finger) में पहने।
  • बृहस्पतिवार यानि गुरूवार का दिन पुखराज रत्न को धारण करने के लिए सबसे शुभ दिन है। इसलिए कोशिश करे की इसे इसी दिन सूर्योदय के बाद और सुबह 10 बजे से पहले नाह धो के पहने।
  • रत्न धारण करने से पहले इसकी पूजा जरूर करे। पूजा करने हेतु, अपने पुखराज रत्न (pukhraj ratan) को गंगाजल और दूध से धोकर पवित्र कर लें। फिर देव गुरु बृहस्पति की पूजा विधिपूर्वक करने हेतु “ॐ बृं बृहस्पतये नम:“ मंत्र का जाप 108 बार करें। आखिरी बार मंत्र का जाप करते वक़्त रत्न को धारण करले।
  • अपने रत्न को इस तरह धारण करे की इसका एक हिस्सा आपकी त्वचा से हमेसा अड़ा रहे।
  • एक बार पहनने के बाद पुखराज को दुबारा न उतारे। यदि आपको किसी कारण वस् इसे उतारना पड़ जाये तो इसे वापिस पहनने से पहले इसकी पूर्ण पूजा प्रठिस्ता दुबारा करे।
  • पुखराज एक अलौकिक रत्न है इसलिए इसकी नैतिकता बनाये रखने हेतु अपने कर्मो पर ध्यान दे। नशा और मांस आदि जैसी चीजों का सेवन भूलकर भी न करें, खासकर बुधवार और गुरुवार के दिन।

 

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पुखराज रत्न के फायदे (Pukhraj ke fayde)

माना जाता है की पुखराज रत्न बृहस्पति के लाभकारी प्रभाव को बढ़ाता है और इसकी ऊर्जा को संतुलित करता है। यह बुद्धि, और आध्यात्मिक विकास का विस्तार करता है।

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पुखराज रत्न अपने पहनने वाले को बहुत सारे फायदे प्रदान करता है, इसके कुछ सर्वोत्तम लाभ जो आप प्राप्त कर सकते है वे कुछ इस प्रकार हैं:

  • पुखराज इंसान को सकारात्मक रूप से प्रभावित करने की ऊर्जा रखता है। इसे पहनने से चिंता, तनाव और अत्यधिक सोच से छुटकारा पाया जा सकता है।
  • यह रत्न धन और आजीविका के मामले में भी भाग्य लाता है।
  • पुखराज व्यक्ति की स्मरण शक्ति व् एकाग्रता को बढ़ाता है ।
  • इसके अतिरिक्त, पुखराज पहनने वाले की बौद्धिक और रचनात्मक सोच को भी बढ़ाएगा।
  • यह पत्थर शांति और मानसिक स्वास्थ्य का भी प्रतीक है। ज्योतिषियों का कहना है कि शांति चाहने वालों को पुखराज धारण करना चाहिए। यह न केवल नकारात्मक विचारों और प्रभाव को दूर रखेगा बल्कि कठिन समय में भी शांति की भावना प्रदान करेगा।
  • इसके अलावा, विवाहित लोगों के लिए भी पुखराज की सिफारिश की जाती है | ऐसा कहा जाता है कि यह पत्थर उन्हें अपने साथी को समझने में मदद करेगा, गलतफहमी को दूर करेगा और रिश्ते में शांति लाएगा। इतना ही नहीं, पुखराज पति पत्नी के रिश्ते में सामंजस्य बनाए रखेगा और उनके वैवाहिक जीवन के आनंद को ओर बढ़ाएगा।

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  • किसी भी भावनाओं को अनवरोधित करने के लिए भी पुखराज का इस्तेमाल किया जाता है। यह पहनने वाले को अपने कार्यों या गलतियों की जिम्मेदारी लेने का साहस दिलाता है और उन्हें जीवन में बेहतर फैसले लेने में मदद करता है ।
  • पुखराज के न केवल भावनात्मक या आध्यात्मिक लाभ हैं बल्कि भौतिक गुण भी हैं। ऐसा कहा जाता है कि इस पत्थर में शारीरिक उपचार करने की शक्ति है। यह बुखार, खांसी और सिरदर्द जैसी स्वास्थ्य संबंधी बीमारियों से उबरने में मदद करता है। यहाँ तक की ये गुर्दे, मुंह, वसा, त्वचा और गले से संबंधित समस्याओं को दूर करने में भी सहायता करता है। यह शरीर में रक्त संचार को भी नियंत्रित करता है।
  • ऐसा भी माना जाता है की यह रत्न पहनने वाले को किसी भी दुर्घटना से बचाता है और इंसान की सुरक्षा करता है।

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पुखराज रत्न के नुकसान (Pukhraj ke nuksan)

पुरखो के अनुसार पुखराज रत्न की ऊर्जा इतनी है की इसे गलत तरीके से धारण करने से इसकी शक्ति का इंसान पर उल्टा असर भी हो सकता है। इसलिए यह सुनिश्चित करना आवश्यक है कि पुखराज रत्न आपकी जन्म कुंडली के अनुकूल हो अन्यथा इसके निम्नलिखित नकारात्मक प्रभाव हो सकते हैं:

  • पुखराज के बुरे प्रभाव से आपको धन की हानि होने की संभावना है, या व्यवसाय में नुक्सान ।
  • आपके निजी सम्बन्धो में भी गलतफैमी उतप्पन हो सकती है जिसके कारण आपके समबन्ध बिगड़ सकते है ।
  • पुखराज आपके स्वस्थ्य पर भी नकारात्मक प्रभाव दाल सकते है, आपको कई बिमारिओ का सामना करना पड़ सकता है।
  • यह रत्न अपने बुरे प्रभाव में आपको तनाव और अशांति दे सकता है।

इसलिए इन् सभी बुरे परिणामो से बचने के लिए आपको इस बात का ध्यान रखना चाहिए की आपने जो रत्न पहना है वो असली है या नहीं, उसकी पूर्ण पूजा प्रतिस्ठा अच्छे से हुई या नहीं और वह कब तक के लिए आपकी कुंडली में सकारात्मक प्रभाव दाल रहा है।

आपको इस बात का भी ध्यान रखना चाहिए की इस रत्न को आप किसी और रत्न के साथ पहन रहे है तो उसका प्रभाव फायदेमंद होगा या नुकसानदायक।

नोट - इस रत्न को धारण करने से पहले अपने पंडित से सलाह अवश्य ले।

 

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पुखराज रत्न किसे पहनना चाहिए (Pukhraj stone kisko pahne chahie)

हर एक रत्न एक गृह से जुड़ा हुआ होता है, पुखराज के ऊपर बृहस्पति गृह का राज है। इसलिए जिन लोगों की कुंडली में बृहस्पति कमजोर होता है वे इस रत्न को धारण करेंगे तो उनके जीवन में इस ग्रह से होने वाले दुषप्रभाव दूर हो जायेंगे।

  • धनु, वृश्चिक और मीन राशि वालों के लिए पुखराज रत्न को शुभ माना जाता है। उन्हें यह अवश्य पहनना चाहिए |
  • मेष राशि वालों के लिए यह रत्न 9 वे घर का सदसय है। इसे मूंगा के साथ पहनने से यह फायदा देता है।
  • वृषभ राशि वालो को यह रत्न तभी पहनना चाहिए जब बृहस्पति 1, 2, 4, 5, 9वें भाव में स्थित हो।
  • यदि आपकी राशि कर्क है तो बृहस्पति तभी पहने जब वह छठे और नौवें घर का स्वामी हो। मोती के साथ पहनने पर पुखराज का बेहतर परिणाम मिल सकता है ।
  • सिंह राशि वालों के लिए पुखराज योग कारक है, इसलिए आप विशेष रूप से बृहस्पति की महादशा में माणिक्य के संयोजन के साथ इस रत्न को धारण करे।
  • कन्या राशि वालो को इस रत्न के वजन को ध्यान में रखकर इसे पहनना चाहिए तभी इसका लाभ होगा।

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किसे पुखराज रत्न नहीं पहनना चाहिए (pukhraj ratan kisko nahi pahne chahie)

  • मिथुन, तुला, मकर और कुंभ राशि वाले लोगों को पुखराज रत्न धारण नहीं करना चाहिए, उन्हें इस रत्न के नकारात्मक प्रभाव का सामना करना पड़ सकता है।
  • जिन लोगो की कुंडली में बृहस्पति गृह चौथे, सातवें या दसवें भाव में विराजमान है उन्हें पुखराज नहीं पहनना चाहिए । साथ ही अगर आपकी कुंडली में धनु लग्न में बृहस्पति है तो भी पुखराज को पहनने में सतर्कता बरते।
  • इस बात का भी अवश्य ध्यान रखे की आप पुखराज को किस दूसरे रत्न के साथ पहन रहे है - हीरे और नीलम के साथ पुखराज को पहनने से बचे।
  • यदि आप इस रत्न को पहनना ही चाहते है तो अपने पंडित से अपनी कुंडली दिखाए और उनसे सलाह ले की इस रत्न को आप दूसरे किस रत्न के साथ धारण कर सकते है की ये आपको सकारत्मकता प्रदान करे।

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