हिंदु धर्म ग्रंथों के अनुसार रूद्राक्ष को एक पवित्र मनका माना गया है। यह मनका भगवान शिव के आंसू के रूप में भी प्रसिद्ध है। शिव महापुराण के अनुसार पृथ्वी पर जिस स्थान पर महादेव के आंसू गिरे उस जगह रूद्राक्ष के वृक्ष की उत्पत्ति हुई। इस वृक्ष के फल से प्राप्त होने वाले बीज को ही रूद्राक्ष कहा जाता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार रूद्राक्ष के अंदर बहुत सी अलौकिक और चमत्कारी शक्तियां मौजूद होती हैं। जिसके कारण इसको धारण करने वाले को सभी प्रकार की समस्याओं से निजात मिलती है। इस दिव्य मनके को धारण करने वाले को भगवान शिव का आशीर्वाद प्राप्त होता है और जीवन सुखमय बना रहता है।
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र्क्यों पहनें 6 मुखी रूद्राक्ष? (Kyo pehne 6 mukhi rudraksha?)
6 मुखी रुद्राक्ष एक ऐसा दिव्य मनका है जो पहनने वाले को शांत और संयमित बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। छह मुखी रुद्राक्ष को धारण करने से क्रोध, ईर्ष्या, बेचैनी और उत्तेजना को नियंत्रित किया जा सकता है। शिव महापुराण और प्राचीन हिंदु ग्रंथों अनुसार, छह मुखी रूद्राक्ष भगवान शिव के छोटे बेटे कार्तिकेय से जुडा है। कार्तिकेय को छह मुख वाले देवता के रूप में भी जाना जाता है। छह मुखों वाले इस मनके को धारण करने वाले व्यक्ति को विभिन्न प्रकार की ज्योतिषीय समस्याओं से निजात मिलती है। वैदिक ज्योतिष के अनुसार यह मनका मंगल ग्रह से संबंधित है और कुंडली में स्थित मंगल दोष का निवारण करता है। मूल छह मुखी रुद्राक्ष सभी उम्र और जीवन के क्षेत्रों के लोगों को लाभ पहुंचाता है और इसे जाप जैसे धार्मिक उद्देश्यों के लिए भी पहना जाता है। कहा जाता है कि छह मुखी रुद्राक्ष शुक्र के नकारात्मक प्रभावों को भी कम करता है।
पंचमुखी रुद्राक्ष पहनने के फायदे और नुकसान, धारण करने की विधि
6 मुखी रुद्राक्ष के फायदे (6 mukhi rudraksha ke fayde)
शिव महापुराण के अनुसार छह मुखीरूद्राक्ष को धारण करने वाले व्यक्ति को बहुत से चमत्कारी फायदे प्राप्त होते हैं। इस लेख में हम आपको रूद्राक्ष को धारण करने के कुछ महत्वपूर्ण फायदों के बारे में बताने जा रहे हैंः
छह मुखी रुद्राक्ष के ज्योतिषीय लाभ (6 mukhi rudraksha ke jyotish fayde)
- बुद्धि एवं रचनात्मकता में वृद्धि: शिव महापुराण के अनुसार छह मुखी रूद्राक्ष को धारण करने वाले व्यक्ति की बुद्धि एवं निर्णय क्षमता में बढोतरी होती है। यह दिव्य मनका धारण करने से रचनात्मकता एवं क्रियाशीलता भी बढ़ती है।
- मंगल एवं शुक्र ग्रह से जुड़े दुष्प्रभावों से मुक्तिः वैदिक ज्योतिष के अनुसार छह मुखी रूद्राक्ष मंगल एवं शुक्र के द्वारा शासित होता है। अतः इस मनके को धारण करने से कुंडली में मौजूद मंगल एवं शुक्र से संबंधित ज्योतिषीय समस्याओं का समाधान किया जा सकता है।
- शारीरिक बल में वृद्धि एवं थकान से छुटकारा: ज्योतिष शास्त्र के अनुसार छह मुखी रूद्राक्ष को धारण करने वाले व्यक्ति के शारीरिक बल में वृद्धि होती है और उसको थकान से छुटकारा मिलता है।
- सुखी वैवाहिक जीवन: शिव महापुराण के अनुसार छह मुखी रूद्राक्ष आपसी प्रेम, सौहार्द और संबंधों में घनिष्टता को बढ़ाने में बहुत ही अहम भूमिका निभाता है। इस मनके को पहनने से वैवाहिक जीवन सुखद बनता है और गृह-क्लेश से मुक्ति मिलती है।
- धन एवं यश में बढ़ोतरी: ज्योतिष शास्त्र के अनुसार छह मुखी रूद्राक्ष में देवी लक्ष्मी का वास है। अतः जो भी व्यक्ति इस दिव्य मनके को पहनता है उस पर लक्ष्मी माता की कृपा होती है और उसको अपार धन, यश एवं सफलता प्राप्त होती है।
चार मुखी रुद्राक्ष के फायदे और नुकसान, पहनने की विधि, कौन पहन सकता है, कौन नहीं
छह मुखी रुद्राक्ष के स्वास्थ्य लाभ (6 mukhi rudraksha ke swasthya labh)
वैदिक ज्योतिष के अनुसार छह मुखी रूद्राक्ष को धारण करने वाले व्यक्ति को बहुत सी स्वास्थ्य संबंधित परेशानियों से निजात मिलती है।
- मधुमेह से छुटकारा : ज्योतिषी अक्सर मधुमेह से ग्रसित लोगों को छह मुखी रूद्राक्ष धारण करने की सलाह देते हैं क्योंकि इस चमत्कारी रूद्राक्ष को पहनने वाले व्यक्तियों को मधुमेह और उच्च रक्तचाप आदि रोगों से मुक्ति मिलती है।
- हकलाने की समस्या को दूर करता है: ज्योतिष शास्त्र के अनुसार छह मुखी रूद्राक्ष एक ऐसा दिव्य बीज है जिसको धारण करने से न सिर्फ वाक-कौशल में वृद्धि होती है बल्कि हकलाने एवं तुतलाने जैसे रोगों से भी मुक्ति मिलती है।
- गले एवं गुर्दे के रोगों से बचाता है: यह रूद्राक्ष बहुत से असाध्य रोगों के उपचान में भी सहायक सिद्ध होता है, खासकर गले एवं गुर्दे के रोगों को ठीक करने में छह मुखी रूद्राक्ष महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
- निद्रा संबंधी रोगों से मुक्ति मिलती हैः छह मुखी रूद्राक्ष को पहनने से कई प्रकार की नींद की बीमारियों को ठीक करने में सहायता मिलती है।
छह मुखी रूद्राक्ष के आध्यात्मिक लाभ (6 mukhi rudraksha ke adhyatmik labh)
- स्वाधिष्ठान चक्र को जागृत करता हैः प्राचीन हिंदु ग्रंथों के अनुसार छह मुखी रूद्राक्ष को पहनने से व्यक्ति का स्वाधिष्ठान चक्र जागृत होता है जिसके फलस्वरूप उसको सभी प्रकार की मानसिक एवं शारीरिक व्याधियों से छुटकारा मिलता है।
- ध्यान लगाने में सहायकः छह मुखी रूद्राक्ष धारक की एकाग्रता एवं ध्यान लगाने की क्षमता में वृद्धि करता है जिससे धारक को आत्मिक शांति प्राप्त होती है।
किसे पहनना चाहिए 6 मुखी रूद्राक्ष (Kise pehna chahiye 6 mukhi rudraksha)
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार छह मुखी रूद्राक्ष एक ऐसा मनका है जिसको किसी भी उम्र, लिंग, धर्म, एवं जाति के लोग धारण कर सकते हैं। परंतु वे लोग जिनकी कुंडली में मंगल या शुक्र से संबंधित दोष हैं उनके लिए इस रूद्राक्ष को धारण करना विशेष रूप से फायदेमंद माना जाता है। इसके अलावा व्यापार एवं कैरियर में सफलता प्राप्त करने की इच्छा रखने वाले व्यक्ति भी इस रूद्राक्ष को धारण कर सकते हैं। यह रूद्राक्ष पहनना विद्यार्थियों के लिए भी बहुत लाभदायक है क्योंकि इसको पहनने से उनकी बौद्धिक क्षमता एवं एकाग्रता में बढ़ोतरी हो सकती है।
तीन मुखी रुद्राक्ष के फायदे और नुकसान, पहनने की विधि, कौन पहन सकता है, कौन नहीं
6 मुखी रुद्राक्ष धारण करने का तरीका
6 मुखी रुद्राक्ष पहनने से पूर्व आपको बहुत सी महत्वपूर्ण बातों का ख्याल रखना चाहिए। नीचे हम आपको इस रूद्राक्ष को धारण करने का सही तरीक बताने जा रहे हैंः
- दिनः इस रूद्राक्ष का पूर्ण लाभ प्राप्त करने हेतु इसको सोमवार की सुबह में पहनना चाहिए।
- शुद्धिकरण: छह मुखी रूद्राक्ष को धारण करने से पूर्व प्रातःकाल में उठकर स्नान करें और साफ-सुथरे वस्त्रों को धारण कर लें। इसके बाद आपको इस रूद्राक्ष को गंगा जल और पंचामृत से धोना चाहिए।
- इसके बाद इस मनके के ऊपर चंदन का लेप लगाएं और पुनः इसको साफ पानी से धोकर सूती कपड़े से पोंछकर सुखा लें।
- सक्रियकरणः छह मुखी रूद्राक्ष को शुद्ध करने के पश्चात इसकी अंदरूनी सकारात्मक ऊर्जा को सक्रिय करना पड़ता है। इसके लिए आपको निम्नलिखित चरणों का पालन करना चाहिए। इसके बाद आप इस मनके को भगवान शिव की मूर्ति या तस्वीर के पास रख दें। फिर इस मनके की ऊर्जा को सक्रिय करने के लिए “ओम् हृम हुम नमः“ मंत्र का 108 बार जाप करें।
- धारण करें- अब आप छह मुखी रूद्राक्ष को मनके को अपने गले में पहन सकते हैं। ज्योतिष शास्त्र के अनुसान छह मुखी रूद्राक्ष को लाल या काले रेशमी धागे के भीतर धारण करना सर्वश्रेष्ठ माना जाता है।
6 मुखी रुद्राक्ष पहनने के नियम (6 mukhi rudraksha pehne ke niyam)
ज्योतिष शास़्त्र के अनुसार रूद्राक्ष को पहनने वाले व्यक्ति को संयमित जीवन जीना चाहिए एवं तामसिक जीवनशैली को छोडकर सात्विक जीवनशैली अपनानी चाहिए। नीचे हम आपको छह मुखी रूद्राक्ष को पहनते समय बरती जाने वाले नियमों की जानकारी देने जा रहे हैंः
- छह मुखी रूद्राक्ष को साबुन, तेल, केमिकल एवं धूल-मिट्टी से बचाकर रखें। क्योंकि इससे इसकी ऊपरी सतह को नुकसान पहुंच सकता है।
- कभी भी छह मुखी रूद्राक्ष को धारण करके न सोएं।
- इस रूद्राक्ष को पहनकर शमशान भूमि में न जाएं।
- छह मुखी रूद्राक्ष को धारण करने के बाद मदिरापान एवं मांस भक्षण न करें।