रूद्राक्ष एक ऐसा पवित्र मनका है जिसकी हिंदु धर्म में बहुत अधिक मान्यता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार रूद्राक्ष की उत्पत्ति भगवान शिव की आंसुओं से हुई है। शिव महापुराण के अनुसार इस दिव्य मनके में भोलेनाथ की चमत्कारी शक्तियां विद्यमान हैं। रूद्राक्ष के वृक्ष सामान्यतः भारत, नेपाल एवं इंडोनेशिया में पाए जाते हैं। रूद्राक्ष का वर्गीकरण उनके ऊपर मौजूद मुखों या धारियों के आधार पर किया जाता है। जिस रूद्राक्ष की सतह पर 14 मुख बने होते हैं उसको 14 मुखी रूद्राक्ष कहा जाता है। ऐसी मान्यता है कि इस रूद्राक्ष को पहनने वाले व्यक्ति जीवन में बहुत से सकारात्मक बदलाव आते हैं। इस मनके को धारण करने वाले मनुष्य को भगवान शंकर का आशीर्वाद एवं अपार सुख-समृद्धि प्राप्त होती है। इस लेख में हम आपको 14 मुखी रूद्राक्ष के फायदे और उसको धारण करने की विधि के बारे में बताने जा रहे हैं।
क्यों पहनें 14 मुखी रूद्राक्ष? (kyu pehne 14 mukhi rudraksha)
शिव महापुराण के अनुसार चौदह मुखी रूद्राक्ष का सीधा संबंध भगवान शिव से जुड़ा हुआ है। इसी कारण से इस रूद्राक्ष को भोलेनाथ का तीसरा नेत्र भी कहा जाता है। ऐसा माना जाता है कि इस रूद्राक्ष को धारण करने वाले व्यक्ति की छठी ज्ञानेंद्री जागृत हो जाती है और उसके अंतर्ज्ञान में वृद्धि होती है। इसलिए इस रूद्राक्ष को धारण करना उन व्यक्तियों के लिए अत्यंत फायदेमंद साबित होता है जो जुए, सट्टे, शेयरबाजार या अन्य किसी प्रकार जोखिम भरे कार्यों में लगे हुए हैं। यह रूद्राक्ष भविष्य का अनुमान लगाने की क्षमता को बढ़ाता है और कैरियर तथा व्यापार में तरक्की प्रदान करता है।
14 मुखी रूद्राक्ष का महत्व (14 mukhi rudraksh pahnane ke fayde)
शिव पुराण के मुताबिक 14 मुखी रूद्राक्ष बहुत ही शक्तिशाली और चमत्कारी मनका है जिसमें 1 से लेकर 13 मुखी रूद्राक्ष की समस्त शक्तियां विद्यमान हैं। यह रूद्राक्ष धारक को अपार यश, धन और वैभव प्रदान करता है। इस रूद्राक्ष को भगवान हनुमान जी का भी आशीष प्राप्त है। अतः इसको पहनने वाला व्यक्ति बजरंग बली की भांति बुद्धिमान, एवं शक्तिशाली बनाता है। इस चमत्कारी रूद्राक्ष को हिंदु धर्म ग्रंथों में ‘देव मणि’ या ‘महा शनि’ आदि नामों से भी पुकारा गया है। 14 मुखी रूद्राक्ष शनि एवं मंगल से ग्रह से भी संबंधित है। इस रूद्राक्ष को धारण करने से कुंडली में मौजूद काल-सर्प दोष से मुक्ति मिलती है और शनि ग्रह के सभी दुष्प्रभाव दूर होते हैं।
14 मुखी रूद्राक्ष के ज्योतिषीय लाभ (14 mukhi rudraksha ke jyotish labh)
चौदह मुखी रूद्राक्ष को पहनने से धारक को निम्नलिखित ज्योतिषीय लाभ प्राप्त होते हैं-
- बुद्धिमत्ता एवं निर्णय क्षमता में वृद्धिः - ऐसा माना जाता है कि चौहद मुखी रूद्राक्ष में बजरंग बली की भी शक्ति व्याप्त है अतः इसको धारण करने वाले व्यक्ति की निर्णय क्षमता और बुद्धिमत्ता में बढ़ोतरी होती है। इस रूद्राक्ष को पहनने वाले व्यक्ति को हनुमान जी कृपा प्राप्त होती है।
- कुंभ, मीन और मकर राशि के जातकों के लिए शुभ- 14 मुखी रूद्राक्ष को पहनना विशेष तौर पर कुंभ मीन और मकर राशि के जातकों के लिए अत्यंत लाभदायक माना जाता है।
- अंर्तज्ञान में बढ़ोतरी - जबालोपनिषद् के अनुसार इस दिव्य रूद्राक्ष के उत्पत्ति भगवान शिव के तीसरे नेत्र से हुई है और यह धारक के अंतर्ज्ञान में वृद्धि करता है। यह रूद्राक्ष छठी इंद्री को जागृत करता है। इससे धारक की भविष्य को भांपने की क्षमता में वृद्धि होती है और वह भविष्य में होने वाली दुर्घटनाओं तथा नुकसानों से बचा रहता है।
- व्यापार एवं शेयर बाजार से जुड़े व्यक्तियों के लिए लाभदायक- चौदह मुखी रूद्राक्ष को पहनना उन व्यक्तियों के लिए लाभदायक है जो जोखिम भरे व्यापार या शेयर बाजार से जुड़े हैं। यह रूद्राक्ष धारक को नौकरी और व्यापार के नए अवसरों का सृजन करने में भी सहायक सिद्ध होता है।
- शनि तथा मंगल ग्रह के दोष का निवारण करता है- चौदह मुखी रूद्राक्ष धारक की कुंडली में व्याप्त शनि ग्रह की ढैया या साढ़े साती आदि परेशानियों को दूर करता है। यह रूद्राक्ष मंगल की दशा या दुष्प्रभाव को भी कम करने में मददगार साबित होता है।
- सुखी वैवाहिक जीवन- 14 मुखी रूद्राक्ष को पहनने वाले व्यक्ति का दांपत्य जीवन सुखमय बनता है और पति-पत्नी के बीच प्रेम, आदर, सौहार्द एवं विश्वास में वृद्धि होती है। यह रूद्राक्ष गृह-क्लेश को दूर करता और पारिवारिक सुख एवं शांति में बढ़ोतरी करता है।
- बुरी शक्तियों तथा जादू-टोने से बचाव- इस रूद्राक्ष को महादेव तथा बजरंग बली का आशीर्वाद प्राप्त है। अतः इसको धारण करने वाला व्यक्ति बुरी शक्तियो तथा जादू-टोने से बचा रहता है।
- पाप-कर्मों से मुक्ति- चौदह मुखी रूद्राक्ष को पहनने वाले व्यक्ति को इस जन्म तथा पूर्व जन्म के सभी पापकर्मों से मुक्ति मिलती है।
- विघ्न-बाधाओं से मुक्ति- ये चमत्कारी मनका धारक के जीवन की सभी प्रकार की विघ्न तथा बाधाओं को दूर करता है और जीवन को सरल एवं सुगम बनाता है।
14 मुखी रूद्राक्ष के स्वास्थ्य लाभ (14 mukhi rudraksha ke swasthya labh)
चौदह मुखी रूद्राक्ष धारक को कई प्रकार की बीमारियों से बचाता है और उसको हष्टपुष्ट एवं रोगमुक्त बनाता है। इस रूद्राक्ष के स्वास्थ्य लाभ निम्नलिखित हैं-
- चिंता तथा तनाव से मुक्तिः चौदह मुखी रूद्राक्ष को पहनने वाले व्यक्ति को असीम मानसिक शांति प्राप्त होती है और चिंता तथा तनाव से मुक्ति मिलती है।
- त्वचा संबंधी रोगों से मुक्ति- 14 मुखी रूद्राक्ष को धारण करने वाले व्यक्ति को त्वचा संबंधी रोगों से मुक्ति मिलती है और त्वचा बेदाग, चमकदार और झुर्रियों रहित बनती है।
- मोटापे से मुक्ति- यह रूद्राक्ष धारण करने वाले व्यक्ति को मोटापे से संबंधित बीमारियों से मुक्ति मिलती है और उसकी सेहत अच्छी बनी रहती है।
अस्थि रोगों से छुटकारा- 14 मुखी रूद्राक्ष पहनने वाले व्यक्ति को आर्थराइटिस एवं अन्य अस्थि तथा मांस-पेशियों से जुड़ी समस्याओं से छुटकारा मिलता है।
14 मुखी रूद्राक्ष के आध्यात्मिक लाभ (14 mukhi rudraksha ke adhyatmik labh)
- अजना चक्र को जागृत करता है- चौदह मुखी रूद्राक्ष को पहनने वाले व्यक्ति का अजना चक्र जागृत होता है जिससे व्यक्ति की पूर्वाभास क्षमता बढ़ती है। यह रूद्राक्ष व्यक्ति को मानसिक रूप से स्थिर एवं दृढ़-निश्चयी बनाता है।
- बुरे सपनों तथा भयों को दूर करता है- 14 मुखी रूद्राक्ष धारक को बुरे सपनो तथा अनजान चीजों के भय से बचाता है। यह रूद्राक्ष धारक को निर्भीक एवं साहसी बनाता है। इस रूद्राक्ष को पहनने से नींद भी अच्छी आती है और दुस्वप्न नहीं आते हैं।
- पूजन तथा जाप के दौरान एकाग्रता में वृद्धि- इस दिव्य मनके को ईश्वर की उपासना करते समय धारण करने से पूजा तथा जाप के दौरान ध्यान नहीं भटकता। ये रूद्राक्ष एकाग्रता तथा लंबे समय तक ध्यान लगाने की क्षमता में बढ़ोतरी करता है।
14 मुखी रुद्राक्ष धारण करने की विधि ((14 mukhi rudraksha dharan karne ki vidhi)
- दिन- 14 मुखी रूद्राक्ष को पहनने का सर्वश्रेष्ठ दिन मंगलवार माना जाता है।
- समय- इस रूद्राक्ष के शुभ फल प्राप्त करने के लिए धारक को इस मनके को प्रातः 5-7 बजे के मध्य धारण करना चाहिए।
- दिशा- इस रूद्राक्ष को पूर्व दिशा की ओर मुख करके ही धारण करना चाहिए।
- धागा एवं धातु- 14 मुखी रूद्राक्ष को पीले या लाल रंग के रेशमी धागे में डाल कर पहनने से बेहतरीन स्वास्थ्य एवं ज्योतिषीय लाभ प्राप्त होते हैं। आप इस मनके को सोने या चांदी में मंडवा कर भी पहन सकते हैं।
- शुद्धिकरण- 14 मुखी रूद्राक्ष के पूर्ण फल प्राप्त करने हेतु इसको शुद्ध करना आवश्यक है। इस रूद्राक्ष को पहनने से पूर्व इस रूद्राक्ष को गंगा जल एवं पंचामृत से धोएं। इसके बाद इसकी सतह पर चंदन का लेप लगाएं और पुनः साफ जल से धोएं। अब इस रूद्राक्ष को स्वच्छ सूते कपडे से पोछें।
14 मुखी रूद्राक्ष को पहनने के नियम? (14 mukhi rudraksha pahnane ke niyam)
14 मुखी रूद्राक्ष को एक बहुत ही ताकतवर एवं पावन बीज माना जाता है। अतः इस मनके को धारण करने वाले व्यक्ति को कुछ नियमों का पालना करना चाहिए-
इस रूद्राक्ष को पहनने के बाद मदिरापान एवं मांसक्षण करने से बचें।
- चौहद मुखी रूद्राक्ष को किसी भी प्रकार के केमिकल, साबुन, तेल, शैम्पू आदि से बचाकर रखें। क्योंकि ये पदार्थ रूद्राक्ष की सतह को नुकसान पहुंचा सकता है। इससे रूद्राक्ष कमजोर होकर टूट भी सकता है।
- 14 मुखी रूद्राक्ष को पहनकर सोना नहीं चाहिए।
- इस मनके को पहनकर कभी भी शमशान भूमि में नहीं जाना चाहिए।
- अपने रूद्राक्ष को किसी अन्य व्यक्ति को कदापि पहनने के लिए न दें। क्योंकि इससे रूद्राक्ष की भीतरी सकारात्मक ऊर्जा नष्ट हो सकती है।
14 मुखी रूद्राक्ष का मंत्र? (14 mukhi rudraksha ka mantra)
14 मुखी रूद्राक्ष का सर्वश्रेष्ठ फल प्राप्त करने हेतु इसकी भीतरी पावन ऊर्जा को जागृत करना आवश्यक होता है। इसके लिए पूर्व दिशा में आसन लगाकर बैठें और रूद्राक्ष को भगवान भोलेनाथ की तस्वीर या शिवलिंग के समक्ष रखें। इसके बाद आप आंखे बंद करके भगवान शिव और हनुमान जी महाराज का ध्यान करें और इस रूद्राक्ष के बीज मंत्र ‘ऊँ नमः’ का 108 बार जाप करें। इसके बाद पूर्ण श्रद्धा एवं विश्वास के साथ इस दिव्य मनके को धारण करें।