रूद्राक्ष एक ऐसा चमत्कारी मनका है जिसको हिंदु धर्म ग्रंथों में अत्यंत पवित्र एवं शक्तिशाली बताया गया है। शिव पुराण के अनुसार रूद्राक्ष की उत्पत्ति भगवान शिव के आंसुओं से हुई है। रूद्र का अर्थ है शिव और अक्ष का अर्थ है आंसू। पौराणिक कथाओं के अनुसार पृथ्वी पर जिस-जिस स्थान पर भोलेनाथ के आंसू गिरे वहीं रूद्राक्ष के वृक्षों की उत्पत्ति हुई। रूद्राक्ष मुख्यतः नेपाल, भारत एवं इंडोनेशिया में पाए जाते हैं। हर रूद्राक्ष की बनावट व आकार भिन्न होता है। रूद्राक्ष को उनकी सतह पर बने मुखों या रेखाओं के आधार पर वर्गीकृत किया जाता है। जिस रूद्राक्ष के ऊपर 13 सीधी रेखाएं बनी होती हैं उसको तेरहमुखी रूद्राक्ष कहा जाता है। 13 मुखी रूद्राक्ष एक बहुत ही चमत्कारी रूद्राक्ष है जिसको धारण करने वाले व्यक्ति को बहुत से लाभ प्राप्त होते हैं। इस लेख में हम आपको इस रूद्राक्ष को धारण करने के प्रमुख लाभों से अवगत कराने जा रहे हैं।

क्यों पहनें 13 मुखी रूद्राक्ष? (Kyu Pehne 13 Mukhi Rudraksha)

हिंदु धर्म ग्रंथों के अनुसार 13 मुखी रूद्राक्ष एक ऐसा दिव्य मनका है जिसको धारण करने से व्यक्ति के सभी प्रकार के कष्टों का निवारण होता है और जीवन में अपार सुख एवं संपदा आती है। इस रूद्राक्ष का संबंध देवराज इंद्र एवं कामदेव से बताया गया है। पौराणिक कथाओं के अनुसार जब देवराज इंद्र से स्वर्गलोक का सिंहासन से छिन गया था तो इंद्र देव ने देवगुरू बृहस्पति के सुझाव से इस दिव्य मनके को धारण किया था। इसके पश्चात् उन्हें पुनः स्वर्ग का सिंहासन और सत्ता प्राप्त हुई। इस चमत्कारी मनके को धारण करने वाले व्यक्ति पर देवराज इन्द्र, के साथ-साथ समस्त देवी-देवताओं का आशीष सदैव बना रहता है। यह रूद्राक्ष धारक को सभी प्रकार के भौतिक और इंद्रिय सुखों को प्रदान करने में सहायक होता है।

इतना ही नहीं ये रूद्राक्ष धारक की आध्यात्मिक चेतना में वृद्धि करके उसको एक अच्छा इंसान बनने को प्रेरित करता है। यह रूद्राक्ष धारण करने से धारक के सभी प्रकार के पापों का नाश होता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस दिव्य मनको पहनने से पारिवारिक रिश्ते मजबूत होते हैं और गृह-क्लेश दूर होता है। यह रूद्राक्ष पहनने वाले व्यक्ति की बुद्धिमत्ता एवं वाक-कौशल में बढ़ोतरी होती है। इस रूद्राक्ष को धारण करने से व्यक्ति के यश और प्रतिष्ठा में वृद्धि होती है। यह रूद्राक्ष धारक की रचनात्मकता और क्रियाशीलता में भी वृद्धि करता है। अतः इस रूद्राक्ष को धारण करना उन लोगों के लिए फायदेमंद है जो अभिनय, राजनीति, ऑनलाइन व्यापार, या कलात्मक कार्यों से जुड़े हुए हैं।

13 मुखी रूद्राक्ष के ज्योतिषीय लाभ (13 mukhi rudraksha ke jyotish labh)

तेरह मुखी रूद्राक्ष को पहनने से धारक को बहुत से महत्वपूर्ण ज्योतिषीय फायदे प्राप्त होते हैं, ये फायदे निम्नलिखित हैं-

व्यापार तथा नौकरी में तरक्की- 13 मुखी रूद्राक्ष को धारण करने वाले व्यक्ति को व्यापार में मुनाफा होता है और नौकरी में तरक्की मिलती है। इस मनको को पहनने से रोजगार के नये अवसरों का भी सृजन होता है।

मिथुन, कर्क, सिंह और तुला राशि वाले व्यक्तियों के लाभदायक- वैदिक ज्योतिष के अनुसार 13 मुखी रूद्राक्ष को पहनना सिंह, कर्क, तुला और मिथुन राशि वाले जातकों के लिए विशेष रूप से लाभदायक माना जाता है। ये रूद्राक्ष इन राशि वाले व्यक्तियों को जीवन में सफलता तथा यश प्राप्त करने में मदद करता है।

आत्मविश्वास तथा वाक-कौशल में वृद्धि- इस रूद्राक्ष को धारण करने वाले व्यक्ति के आत्मविश्वास तथा वाक-कौशल में वृद्धि होती है। ये मनका धारक को कुशल वक्ता तथा बेहतर व्यक्ति बनाता है।

आर्थिक स्थिति में सुधार और भौतिक सुखों की प्राप्ति- 13 मुखी रूद्राक्ष को पहनने से व्यक्ति को अपार धन एवं संपदा प्राप्त होती है। यह शक्तिशाली रूद्राक्ष धारक को कर्ज से निजात दिलाता है और आर्थिक समृद्धि प्रदान करता है।

सभी ग्रहों के दुष्प्रभावों को कम करने में सहायक- इस दिव्य मनको को पहनने से कुंडली में व्याप्त सभी नवग्रहों के दोष और दुष्प्रभावों से मुक्ति मिलती है और जीवन सुखमय बनता है।

नकारात्मक एवं अनिष्टकारी शक्तियों से बचाव- यह रूद्राक्ष धारक को नकारात्मक शक्तियों, दुर्घटनाओं एवं जानलेवा बीमारियों से बचाकर लंबी उम्र प्रदान करता है।

सुखी वैवाहिक जीवन- 13 मुखी रूद्राक्ष धारण करने वाले व्यक्ति का वैवाहिक जीवन सुखमय बना रहता है। यह रूद्राक्ष पति-पत्नी के बीच रिश्तों को मधुर बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

13 मुखी रूद्राक्ष के स्वास्थ्य लाभ (13 mukhi rudraksha ke swasthya labh)

तेरह मुखी रूद्राक्ष को पहनने वाला व्यक्ति मजबूत, हष्टपुष्ट एवं रोगमुक्त रहता है। इस रूद्राक्ष को धारण करने से मिलने वाले स्वास्थ्य लाभ निम्नलिखित हैं-

श्वास-संबंधी बीमारियों के उपचार में लाभदायक- तेरह मुखी रूद्राक्ष को पहनने से धारक को अस्थ्मा, ब्रोंकाइटिस, और टीबी जैसी श्वास-संबंधी रोगों से मुक्ति मिलती है।

प्रजनन-तंत्र संबंधी रोगों को ठीक करता है- यह रूद्राक्ष धारण करने से यौन तथा प्रजनन तंत्र से संबंधित रोगों को ठीक करने में मदद मिलती है।

हृदय रोगों से बचाव- 13 मुखी रूद्राक्ष धारक के हृदय की मांसपेशियों को मजबूत बनाता है और परिसंचरण तंत्र से संबंधित बीमारियों से बचाव करता है।

13 मुखी रूद्राक्ष के आध्यात्मिक लाभ (13 mukhi rudraksha ke adhyatmik labh)

13 मुखी रूद्राक्ष धारण करने से व्यक्ति की आध्यात्मिक ऊर्जा में बढ़ोतरी होती है। यह रूद्राक्ष ध्यान लगाने तथा पूजा-पाठ करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभात है। इसको पहनने से प्राप्त होने वाले आध्यात्मिक लाभ निम्नलिखित हैं-

ध्यान, तथा एकाग्रता में वृद्धि- तेरह मुखी रूद्राक्ष को पहनने वाले व्यक्ति की ध्यान लगाने की शक्ति तथा एकाग्रता में वृद्धि होती है। यह रूद्राक्ष धारक के मन को शांत करता है और नकारात्मक विचारों तथा भय को दूर भगाता है।

पूजन एवं जाप में मददगार सिद्ध होता है- 13 मुखी रूद्राक्ष को पहनने से धारक को भगवान शिव, तथा इंद्रदेव की कृपा प्राप्त होती है। इस रूद्राक्ष को पहन कर पूजा तथा जाप करने से व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और पूजन का पूर्ण लाभ प्राप्त होता है।

विशुद्धि चक को जागृत करता है- तेरह मुखी रूद्राक्ष धारक के विशुद्ध चक्र को जागृत करके उसके शरीर को मजबूत एवं रोगमुक्त बनाता है।

कैसे पहनें 13 मुखी रूद्राक्ष? (kaise pahane 13 mukhi rudraksha)

दिन- सर्वश्रेष्ठ ज्योतिषीय लाभ प्राप्त करने हेतु 13 मुखी रूद्राक्ष को शुक्रवार को धारण करना चाहिए।

समय- इस रूद्राक्ष को पहनने के लिए प्रातःकाल 5-7 बजे के समय को सर्वश्रेष्ठ माना जाता है।

दिशा-शुभ फल प्राप्त करने हेतु इस रूद्राक्ष को पूर्व दिशा की ओर मुख करके धारण करना चाहिए।

धागा एवं धातु-इस रूद्राक्ष को काले या लाल रेशम के धागे में डाल कर पहनना सबसे अच्छा माना जाता है। आप चाहें तो इसको सोने या चांदी के तार या टोकरी या ब्रेसलेट में डाल कर भी धारण कर सकते हैं।

शुद्धिकरण- इस रूद्राक्ष के पूर्ण लाभ प्राप्त करने हेतु पहनने से पहले इसका विधि-विधान से शुद्धिकरण अवश्य करें। सर्वप्रथम इस मनके को गंगा-जल से धोंए। इसके बाद रूद्राक्ष को 15-20 मिनट के लिए पंचामृत में डुबोएं। इसके पश्चात मनके की सतह पर चंदन का लेप लगाएं और पुनः साफ पानी से धोए। इसके पश्चात् रूद्राक्ष को साफ एवं नर्म कपडे से पोछें।

13 मुखी रूद्राक्ष का मंत्र? (13 mukhi rudraksha mantra)

सक्रियकरण- 13 मुखी रूद्राक्ष को शुद्ध करने के बाद उसको भगवान शिव के चित्र या शिवलिंग के समक्ष रखकर इस रूद्राक्ष के बीज मंत्र “ऊँ हृरीम नमः” का 108 बार जाप करें। अब पूर्व दिशा की ओर मुख करें और भगवान शिव, और इंद्रदेव का ध्यान करें और पूर्ण समर्पण एवं आस्था के साथ रूद्राक्ष को धारण करें।

13 मुखी रुद्राक्ष धारण करने के नियम? (13 mukhi rudraksha dharan karne ke niyam)

  • इस रूद्राक्ष को पहनने के बाद सात्विक जीवनशैली का पालन करें और मदिरापान तथा मांसभक्षण न करें।
  • सोने से पहले तेरह मुखी रूद्राक्ष को उतारकर सोना चाहिए।
  • इस मनके को धूल, मिट्टी, तेल, साबुन, तथा हानिकारक केमिकल से बचाकर रखें। इन सब पदार्थों से रूद्राक्ष की ऊपरी सतह खराब हो सकती है।
  • इस रूद्राक्ष को पहनकर शमशान भूमि में न जाएं।