हिंदु धर्म में रूद्राक्ष को एक पवित्र एवं शक्तिशाली मनका माना जाता है। इस मनके का संबंध भगवान भोलेनाथ से माना जाता है। रूद्राक्ष शब्द की उत्पत्ति दो संस्कृत शब्दों रूद्र और अक्ष से मिलकर हुई है। रूद्र का अर्थ है भगवान शिव और अक्ष का अर्थ है आंसू। किवंदतियों के अनुसार पृथ्वी पर जिस भी स्थान पर भगवान शिव के आंसू गिरे, उसी स्थान पर रूद्राक्ष के वृक्ष उत्पन्न हुए। रूद्राक्ष के वृक्ष मुख्यतः भारत, नेपाल, एवं इंडोनेशिया में पाए जाते हैं। इनमें से नेपाली प्रजाति के रूद्राक्ष को सबसे ऊंचे दर्जे का मनका माना जाता है। रूद्राक्ष को उसकी सतह पर मौजूद सीधी रेखाओं या धारियों के आधार पर वर्गीकृत किया जाता है। जिस रूद्राक्ष पर 12 सीधी रेखाएं या मुख बने होते हैं उसको बारह मुखी रूद्राक्ष कहा जाता है।

क्यों पहनें 12 मुखी रूद्राक्ष? (Kyu Pehne 12 Mukhi Rudraksha)

बारह मुखी रूद्राक्ष एक ऐसा चमत्कारी मनका है जो धारक को कई प्रकार के चमत्कारी ज्योतिषीय एवं स्वास्थ्य लाभ प्रदान करता है। पद्म पुराण के अनुसार 12 मुखी रूद्राक्ष को पहनने से धारक को सभी प्रकार के भय से मुक्ति मिलती है। इस रूद्राक्ष का स्वामी सूर्य ग्रह को माना जाता है। अतः इसको पहनने से व्यक्ति की कुंडली में व्याप्त सूर्य ग्रह से संबंधित सभी प्रकार के दोषों का निवारण होता है। इसके अलावा इस रूद्राक्ष को पहनना मेष, सिंह, एवं कर्क राशि के जातकों के लिए विशेष रूप से लाभदायक माना जाता है। इस शक्तिशाली मनके का संबंध भगवान श्री हरि विष्णु से भी जोडा जाता है। अतः इसको पहनने वाले व्यक्ति पर भगवान विष्णु का आशीर्वाद सदैव बना रहता है। श्रीमद देवी भागवत पुराण के अनुसार यह ताकतवर मनका धारक को दुर्घटनाओं, एवं जंगली जानवरों से बचाने में कारगर भूमिका निभाता है और दीर्घायु बनाता है।

इस रूद्राक्ष को पहनने से धारक की नेतृत्व क्षमता एवं प्रबंध-कौशल में वृद्धि होती है। यह रूद्राक्ष पहनने वाले व्यक्ति के आत्मविश्वास, शारीरिक बल और चेहरे के तेज में बढ़ोतरी करने में सहायक सिद्ध होता है। बारह मुखी पहनने वाले व्यक्ति को अपार, धन, ऐश्वर्य एवं सफलता की प्राप्ति होती है। इस रूद्राक्ष धारण करना उन व्यक्तियों के लिए विशेष तौर पर लाभदायक माना जाता है जो व्यापार, राजनीति, प्रबंधन या सरकारी नौकरी में व्यस्त हैं।

11 मुखी रुद्राक्ष के फायदे, पहनने की विधि, कौन पहन सकता है, कौन नहीं

12 मुखी रुद्राक्ष के फायदे

बारह मुखी रुद्राक्ष के भगवान सूर्य देव से जुड़े होने के कारण इसके बहुत सारे चमत्कारी गुण है जो पहनने के जीवन को सरल बना देते हैं | कुछ 12 मुखी रुद्राक्ष के फायदे इस प्रकार हैं |

12 मुखी रूद्राक्ष के ज्योतिषीय लाभ? (12 mukhi rudraksha ke jyotish labh)

12 मुखी रूद्राक्ष का स्वामी सूर्य को माना जाता है अतः इसको पहनने से धारक के आत्मविश्वास में वृद्धि होती है और कई महत्वपूर्ण ज्योतिषीय लाभ भी प्राप्त होते हैं। इस रूद्राक्ष के महत्वपूर्ण ज्योतिषीय लाभ निम्नलिखित हैं।

विघ्न-बाधाओं से मुक्ति- 12 मुखी रूद्राक्ष को पहनने का सबसे बड़ा लाभ यह है कि इसको धारण करने वाले व्यक्ति का जीवन सरल एवं सुगम बनता है। यह रूद्राक्ष सफलता के मार्ग में आने वाले विघ्न एवं रूकावटों को दूर करता है और जीवन के हर क्षेत्र में विजय दिलवाता है।

चेहरे के तेज, शारीरिक बल एवं आत्मविश्वास में वृद्धि- बारह मुखी रूद्राक्ष को पहनने वाले व्यक्ति के शारीरिक बल, आत्मविश्वास, एवं चेहरे की चमक में इजाफा होता है और व्यक्ति रोगमुक्त एवं तंदुरूस्त बनता है।

धारक को निर्भीक एवं मानसिक रूप से ताकतवर बनाता है- 12 मुखी रूद्राक्ष को पहनने से धारक को सभी प्रकार के भय से मुक्ति मिलती है। निर्णय क्षमता एवं प्रबंध कौशल में बढ़ोतरी- यह रूद्राक्ष पहनने से व्यक्ति की सही निर्णय लेने की क्षमता एवं प्रबंध कौशल में वृद्धि होती है। अतः इस रूद्राक्ष को पहनना प्रबंधकों, राजनेताओं, तथा सरकारी कमर्चारियों के लिए अत्यंत लाभदायक माना जाता है।

अपार धन, यश एवं सफलता की प्राप्ति- बारह मुखी रूद्राक्ष को पहनने वाले व्यक्ति को जीवन के हर क्षेत्र में अपार धन, यश एव सफलता प्राप्त होती है। यह रूद्राक्ष पहनने से व्यक्ति का जीवन सुखमय बनता है और उसको कभी आर्थिक तंगी का सामना नहीं करना पड़ता है।

12 मुखी रूद्राक्ष के स्वास्थ्य लाभ? (12 mukhi rudraksha ke swasthya labh)

12 मुखी रूद्राक्ष को पहनने से धारक को सभी प्रकार के शारीरिक एवं मानसिक रोगों से मुक्ति मिलती है। इसको पहनने से मिलने वाले स्वास्थ्य लाभ निम्नलिखित हैं-

आंतों के रोगों से मुक्ति और मजबूत पाचन तंत्र- बारह मुखी रूद्राक्ष को पहनने वाले व्यक्ति को आंतों से संबंधित बीमारियों से छुटकारा मिलता है। यह रूद्राक्ष पाचन तंत्र को दुरूस्त करके कब्ज, एसिडिटी, एवं गैस आदि बीमारियों से बचाता है।

अस्थि रोगों से बचाने में कारगर- 12 मुखी रूद्राक्ष को पहनने से हड्डियां मजबूत बनती हैं और विभिन्न प्रकार के अस्थि रोग दूर होते हैं।

मानसिक रोगों के उपचार में सहायक- यह रूद्राक्ष तनाव, व्यग्रता एवं अवसाद जैसे मानसिक रोगों के उपचार में फायदेमंद साबित होता है। इस दिव्य मनके को पहनने से धारक को मानसिक एवं आत्मिक शांति का अनुभव होता है और अच्छी नींद आती है।

मधुमेह को ठीक करता है- 12 मुखी रूद्राक्ष मधुमेह को ठीक करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

उच्च रक्तचाप को कम करने में लाभदायक- यदि कोई व्यक्ति उच्च रक्तचाप या हृदय रोगों से ग्रस्त है तो वह भी इस शक्तिशाली रूद्राक्ष को धारण कर सकता है।

नेत्र रोगों को ठीक करता है- बारह मुखी रूद्राक्ष धारक की नेत्र ज्योति को बढ़ाता है और नेत्र संबंधी रोगों के उपचार में कारगर सिद्ध होता है।

10 मुखी रुद्राक्ष के फायदे , पहनने की विधि, कौन पहन सकता है, कौन नहीं

12 मुखी रूद्राक्ष के आध्यात्मिक लाभ? (12 mukhi rudraksha ke adhyatmik labh)

बारह मुखी रूद्राक्ष धारक को मानसिक शांति प्रदान करता है और एकाग्रता में वृद्धि करता है। इस मनके को पहनने से धारक को बहुत से आध्यात्मिक लाभ प्राप्त होते हैं जैसे-

जाप तथा पूजा में सहायक- 12 मुखी रूद्राक्ष धारक की आध्यात्मिकता, और ध्यान लगाने की शक्ति में वृद्धि करता है। इससे व्यक्ति का मन पूजा तथा जाप के दौरान भटकता नहीं है और उसको पूजा का पूर्ण फल प्राप्त होता है ।

मणिपुर चक्र को जागृत करता है- 12 मुखी रूद्राक्ष को पहनने से धारक का मणिपुर चक्र जागृत होता है जिससे धारक की क्रियाशीलता, आत्मनिर्भरता, अंतर्ज्ञान एवं रचनात्मकता में वृद्धि होती है।

बुरी लतों को छुडवाने में सहायक- ये रूद्राक्ष धारक को आत्मजागरूक बनाता है और उसको बुरी लतों को छोडने तथा अच्छी जीवनशैली को अपनाने को प्रेरित करता है।

कैसे पहनें 12 मुखी रूद्राक्ष? (kaise pahane 12 mukhi rudraksha)

दिन- 12 मुखी को धारण करने के लिए रविवार या शिवरात्रि का दिन सर्वश्रेष्ठ माना जाता है।

समय- इस रूद्राक्ष को पहनने के लिए रविवार के लिए प्रातःकाल 4-6 से बजे का समय सबसे अच्छा है।

दिशा- 12 मुखी रूद्राक्ष को पहनने के लिए धारक को पूर्व दिशा में मुख करके बैठना चाहिए

धागा एवं धातु- इस रूद्राक्ष को लाल या काला धागे में पिरोकर पहनें। आप चाहें तो इसे सोने या चांदी टोकरी में डाल कर भी पहन सकते हैं।

शुद्धिकरण-12 मुखी रूद्राक्ष को धारण करने से पहले उसका शुद्धिकरण अवश्य करें। इसके लिए रविवार के दिन सुबह-सुबह उठकर स्नान करें। उसके बाद साफ-सुथरे वस्त्र पहनें और पूर्व दिशा की ओर मुख करके सूर्य को अर्क दें। इसके पश्चात आसन लगाकर बैठें और 12 मुखी रूद्राक्ष को गंगा जल एवं पंचामृत से स्नान करवाएं। इसके बाद रूद्राक्ष की सतह पर चंदन का लेप लगाएं और पुनः साफ पानी से धोएं। इसके पश्चात् रूद्राक्ष को नर्म और साफ वस्त्र से पोंछें।

9 मुखी रुद्राक्ष के फायदे, पहनने की विधि, कौन पहन सकता है, कौन नहीं

12 मुखी रुद्राक्ष का मंत्र (12 mukhi rudraksha mantra)

सक्रियकरण- बारह मुखी रूद्राक्ष के पूर्ण ज्योतिषीय प्रभाव प्राप्त करने हेतु इसकी भीतर शक्ति को जागृत करना आवश्यक है। इसके लिए शुद्ध किए गए मनके को भगवान शिव की तस्वीर या शिवलिंग के समक्ष रखकर रूद्राक्ष के बीज मंत्र “ॐ क्रौं क्षौं रौं नम:” का 108 बार जाप करें। अब आप इस रूद्राक्ष को धारण कर सकते हैं।

12 मुखी रुद्राक्ष धारण करने के नियम? (12 mukhi rudraksha dharan karne ke niyam)

  • बारह मुखी रुद्राक्ष धारण करनेवाला व्यक्ति को सात्विक जीवन का पालन करना चाहिए और मांस-मदिरा का सेवन नहीं करना चाहिए।
  • बारह मुखी रूद्राक्ष को सोने से पहले उतार देना चाहिए।
  • 12 मुखी रूद्राक्ष को पहनकर शमशान भूमि मे ना जाएं।
  • इस रूद्राक्ष को तेल, साबुन, शैम्पू, एवं अन्य केमिकल से बचाकर रखें क्योंकि इससे रूद्राक्ष की सतह को नुकसान पहुंच सकता है।