प्राचीन हिंदु धर्म ग्रंथों के अनुसार रूद्राक्ष एक शक्तिशाली एवं पावन मनका है। ऐसा माना जाता है कि रुद्राक्ष की उत्पत्ति भगवान शिव के आंसुओं से हुई है। पृथ्वी पर जिस स्थान पर भी भोलेनाथ के आंसु गिरे उसी स्थान पर रूद्राक्ष के वृक्ष उत्पन्न हुए। रूद्राक्ष का वृक्ष सामान्यतया भारत, नेपाल एवं इंडोनेशिया में पाया जाता है। हालांकि सबसे उच्च गुणवत्ता का मनका नेपाली प्रजाति के मनके को माना जाता है। रुद्राक्ष मनका बहुत प्रकार के आते है जिनमें से हम 11 मुखी रुद्राक्ष के बारे मे चर्चा करेंगे ।
क्यों पहनें 11 मुखी रूद्राक्ष? | Kyu Pahane 11 Mukhi Rudraksha

11 मुखी रुद्राक्ष की सतह पर ग्यारह रेखाएं होती हैं, यह रुद्राक्ष भगवान हनुमान जी से संबंधित माना जाता है। इसे धारण करने से व्यक्ति को अपार शक्ति, बुद्धि, साहस और आत्मविश्वास प्राप्त होता है। यह नेतृत्व क्षमता और वाणी कौशल बढ़ाता है, भय और नकारात्मकता को दूर करता है तथा अश्वमेध यज्ञ के समान पुण्य प्रदान करता है। इसे एकादश रुद्राक्ष या हनुमान रुद्राक्ष भी कहा जाता है। यहरुद्राक्ष धारक को सफलता, बल और दिव्य सुरक्षा देता है।इस लेख में हम आपको 11 मुखी रूद्राक्ष को धारण करने के कुछ महत्वपूर्ण फायदों के बारे में बताने जा रहे हैं।
10 मुखी रुद्राक्ष पहनने के फायदे | Dus Mukhi Rudraksha Benefits in Hindi
11 मुखी रूद्राक्ष के ज्योतिषीय लाभ | 11 mukhi rudraksha ke jyotish labh

11 मुखी रूद्राक्ष ज्योतिषीय दृष्टिकोण से एक बहुत ही महत्वपूर्ण एवं शुभ मनका है। इस रूद्राक्ष को पहनने से धारक के की कुंडली में व्याप्त सभी प्रकार के ग्रहों के अशुभ प्रभाव समाप्त होते हैं। कुछ 11 मुखी रुद्राक्ष के फायदे इस प्रकार है।
साहस एवं आत्मविश्वास में वृद्धिः 11 मुखी रूद्राक्ष एक ऐसा प्रभावशाली मनका है जिसको पहनने से धारक के साहस एवं आत्मविश्वास में वृद्धि होती है।
बुद्धि एवं वाक-कौशल में बढ़ोतरीः इस रुद्राक्ष को पहनने से धारक की बुद्धि एवं वाक-कौशल में वृद्धि होती है जिससे उसको जीवन के सभी क्षेत्रों में सफलता प्राप्त होती है।
व्यापार एवं नौकरी में तरक्कीः यह रुद्राक्ष एक ऐसा चमत्कारी मनका है जिसको पहनने से व्यापार एवं नौकरी में तरक्की होती है और अपार सफलता प्राप्त होती है।
याद्दाश्त, ध्यान एवं रचनात्मकता में बढ़ोतरीः 11 मुखीरुद्राक्ष को पहनने वाले व्यक्ति की याद्दाश्त और ध्यान लगाने की क्षमता में बढ़ोतरी होती है। इसी वजह से इस रूद्राक्ष को धारण करना विद्यार्थियों तथा उन लोगों के लाभदायक माना जाता है जो बौद्धिक कार्यों में लगे हुए हैं जैसे शिक्षक, वकील, डॉक्टर, इंजीनियर इत्यादि।
शनि ग्रह के दुष्प्रभाव से मुक्ति : 11 मुखी रूद्राक्ष को पहनना उन लोगों के लिए विशेष रूप से लाभदायक है जो शनि की ढैया या साढ़े साती से त्रस्त हैं। ये रूद्राक्ष कुंडली में व्याप्त शनि ग्रह के सभी दोषों को दूर करता है।
11 मुखी रूद्राक्ष के स्वास्थ्य लाभ | 11 mukhi rudraksha ke swasthya labh

ग्यारह मुखी रूद्राक्ष को पहनने से शरीर हष्टपुष्ट बनता है और धारक को निम्नलिखित स्वास्थ्य लाभ प्राप्त होते हैंः
श्वास-संबंधी रोगों से बचावः इस रुद्राक्ष को धारण करना उन लोगों के लिए फायदेमंद है जिनको श्वसन संबंधित कोई बीमारी है जैसे दमा, टीबी इत्यादि। ये रूद्राक्ष इन सभी रोगों को ठीक करने तथा इनसे बचाव में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
थाईरॉइड ग्रंथी से संबंधित बीमारियों से छुटकाराः 11 मुखीरुद्राक्ष को पहनने से धारक को थाईरॉइड ग्रंथि से संबंधित बीमारियों से छुटकारा मिलता है।
रोग प्रतिरोधक क्षमता में बढ़ोतरीः इस पवित्र रूद्राक्ष को पहनने से धारक की रोग प्रतिरोधक क्षमता में बढ़ोतरी होती है और समस्त रोगों से बचाव होता है।
मधुमेह एवं उच्चरक्तचाप को कम करना : ग्यारह मुखी रूद्राक्ष मधुमेह, हृदय रोग एवं उच्च रक्तचाप आदि बीमारियों को ठीक करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
9 मुखी रुद्राक्ष पहनने के फायदे | 9 Mukhi Rudraksha Benefits in Hindi
11 मुखी रूद्राक्ष के आध्यात्मिक लाभ |11 mukhi rudraksha ke adhyatmik labh

ग्यारह मुखी रूद्राक्ष एक ऐसा चमत्कारी रूद्राक्ष है जिसको धारण करने से धारक की सकारात्मक ऊर्जा एवं आध्यात्मिक चेतना में वृद्धि होती है। इस रूद्राक्ष को धारण करने के प्रमुख आध्यात्मिक लाभ निम्नलिखित हैं-
विशुद्ध या गले के चक्र को जागृत करना: 11 मुखी रूद्राक्ष को पहनने से धारक का विशुद्ध या गले का चक्र जागृत होता है। इससे धारक की सुनने एवं समझने की क्षमता और आत्मविश्वास में बढ़ोतरी होती है।
कैसे पहनें ग्यारह मुखी रूद्राक्ष? | kaise pahane gyarah Mukhi Rudraksha
दिन- ग्यारह मुखी रूद्राक्ष को धारण करने के लिए सर्वश्रेष्ठ दिन मंगलवार को माना जाता है।
समय- इस रूद्राक्ष को पहनने के लिए सुबह का समय सर्वश्रेष्ठ है।
दिशा- 11 मुखी रूद्राक्ष को धारण करने के लिए व्यक्ति को पूर्व दिशा की ओर मुख करके बैठना चाहिए।
धातु एवं धागा: इस रूद्राक्ष को लाल या पीले रेशमी धागे में डालकर पहनें आप चाहें तो इसे सोने या चाँदी कि धातु मे पिरो कर भी धारण कर सकते हैं।
शुद्धिकरण- ग्यारह मुखी रूद्राक्ष को धारण करने से पहले उसका शुद्धिकरण करना अत्यंत आवश्यक है। इसके लिए रुद्राक्ष को पहले पंचामृत के द्वारा शुद्धिकरण करे । इसके बाद रूद्राक्ष की सतह पर चंदन का लेप लगाएं और पुनः साफ जल से धोए।
सक्रियकरण- रूद्राक्ष के पूर्ण ज्योतिषीय प्रभाव प्राप्त करने के लिए उसकी अंदरूनी ऊर्जा को जागृत करना आवश्यक है। इसके लिए 11 मुखी रूद्राक्ष को भगवान शिव की तस्वीर या शिवलिंग के समक्ष रखें। इसके बाद बीज मंत्र "ऊँ नमः शिवाय" या "ऊँ हृरीम हुम नमः" का 108 बार जाप करें।
8 मुखी रुद्राक्ष के फायदे, पहनने की विधि, कौन पहन सकता है, कौन नहीं
ग्यारह मुखी रूद्राक्ष पहनने के नियम? Gyarah Mukhi Rudraksha pahnane ke niyam

11 मुखी रूद्राक्ष को पहनते समय निम्नलिखित नियमों का अवश्य ध्यान रखेंः
- रुद्राक्ष को तेल, साबुन, केमिकल, एवं अत्यधिक तापमान से बचाकर रखें क्योंकि इन सब चीजों से मनके की सतह को नुकसान पहुंच सकता है।
- हिंदु शास्त्र के अनुसार रूद्राक्ष को पहनकर तामसिक भोजन एवं मदिरापान करना निषेध माना जाता है।
- रात्रि को सोने से पहले रूद्राक्ष को उतार दें।
- इस रूद्राक्ष को पहनकर शमशान भूमि में न जाएं।
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